आरबीआई मौद्रिक नीति 2025 की प्रमुख बातें: रेपो दर घटकर 6.25%, जीडीपी 6.4% रहने की संभावना

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आरबीआई मौद्रिक नीति : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 7 फरवरी 2025 को पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया है। इससे पहले यह दर 6.5% थी। इस निर्णय का उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देना और महंगाई को नियंत्रित करना है।

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस नीति की घोषणा करते हुए कहा कि “भारतीय अर्थव्यवस्था के हित में वित्तीय स्थिरता और उपभोक्ता संरक्षण दोनों आवश्यक हैं। आरबीआई का दायित्व इन दोनों को संतुलित रखना है।”

इस लेख में हम आरबीआई की मौद्रिक नीति 2025 के मुख्य बिंदुओं, रेपो दर में कटौती के प्रभाव, जीडीपी वृद्धि के अनुमान और आगे की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। Banking Updates आपको इस लिंक पर मिलेगा |


आरबीआई मौद्रिक नीति 2025 के प्रमुख बिंदु

रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6.25% किया गया
स्टैंडिंग डिपॉज़िट फैसिलिटी (SDF) दर 6% तय की गई
मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने तटस्थ रुख बनाए रखा
महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई, 2025-26 में 4% लक्ष्य के करीब आने की संभावना
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता के संकेत
वास्तविक जीडीपी वृद्धि (Real GDP Growth) 2025-26 के लिए 6.4% अनुमानित
कृषि क्षेत्र में सकारात्मक संकेत, रबी फसल की अच्छी संभावनाएं
विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के संकेत, तीसरी तिमाही में हल्की रिकवरी
व्यापार और सेवाओं के क्षेत्र में आशाजनक भविष्य
शहरी मांग अभी भी कमजोर, लेकिन कर राहत और रोजगार वृद्धि से उपभोक्ता खर्च बढ़ने की उम्मीद


रेपो रेट में कटौती: आपके लिए क्या मायने रखता है?

रेपो दर (Repo Rate) वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। जब रेपो दर घटती है, तो बैंक कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान कर सकते हैं, जिससे ऋण लेने वालों को लाभ होता है

होम लोन, कार लोन और अन्य ऋण सस्ते हो सकते हैं
ब्याज दरों में कमी से निवेश और उपभोग बढ़ सकता है
विनिर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा
बचत पर ब्याज दरें घटने की संभावना

यह कदम सरकार के बजट राहत उपायों को समर्थन देने के लिए भी उठाया गया है, ताकि आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके और बाजार में नकदी प्रवाह बना रहे।


महंगाई और जीडीपी पर प्रभाव

आरबीआई के अनुसार, महंगाई दर में लगातार गिरावट देखी गई है और 2025-26 में यह 4.2% रहने की संभावना है। यदि मानसून सामान्य रहता है, तो खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी।

रिपोर्ट के अनुसार:
📌 खाद्य महंगाई दर में गिरावट जारी
📌 कोर महंगाई स्थिर, लेकिन हल्की वृद्धि संभव
📌 जीडीपी वृद्धि दर 6.4% अनुमानित

आरबीआई ने यह भी कहा कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और व्यापार नीतियों से जुड़ी अनिश्चितताएं भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम हो सकती हैं। हालांकि, सरकार की आर्थिक नीतियों और बजट राहत उपायों से घरेलू बाजार को मजबूती मिल सकती है


कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के लिए क्या संकेत हैं?

🌾 कृषि क्षेत्र में सकारात्मक रुख:

  • रबी फसल के अच्छे उत्पादन की संभावना से खाद्य महंगाई नियंत्रण में रहने की उम्मीद
  • ग्रामीण मांग में सुधार की संभावना

🏭 विनिर्माण और उद्योग:

  • तीसरी तिमाही में हल्की रिकवरी देखी गई
  • उद्योगों को ब्याज दर में कटौती से राहत मिलेगी
  • निर्यात और घरेलू उत्पादन में वृद्धि की संभावना

💼 रोजगार और उपभोक्ता खर्च:

  • यूनियन बजट 2025 में कर राहत और नए रोजगार अवसरों से उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा
  • शहरी क्षेत्रों में अभी मांग कमजोर, लेकिन आगामी तिमाहियों में सुधार संभव

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई का यह फैसला विकास को समर्थन देगा। ब्याज दरों में कटौती से ऋणधारकों को राहत मिलेगी और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा

कम ब्याज दर से उद्योगों को वित्तीय सहायता मिलेगी
रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा
बजट के बाद की इस नीति से सरकार के आर्थिक सुधार प्रयासों को समर्थन मिलेगा

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि वैश्विक आर्थिक स्थितियों में अस्थिरता बनी हुई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सतर्क रहना होगा।


निष्कर्ष

आरबीआई की मौद्रिक नीति 2025 के तहत रेपो दर को 6.25% तक घटाने का निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इससे कर्ज सस्ता होगा, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, और उपभोक्ता खर्च में सुधार आएगा

📉 महंगाई दर में गिरावट का अनुमान
📊 विनिर्माण और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की संभावना
💸 ब्याज दरों में कमी से कर्ज लेना होगा आसान
🌍 वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता के संकेत

🚀 इस नीति के प्रभाव को देखने के लिए आने वाले महीनों में बाजार की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी।

क्या आपको यह लेख उपयोगी लगा? अपने सुझाव और प्रश्न हमें कमेंट सेक्शन में बताएं! 😊

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