टैग: मुथैया मुरलीधरन, जम्मू-कश्मीर, जमीन आवंटन, विधानसभा, विवाद, निवेश, उद्योग, सीपीआई(एम), कांग्रेस, बीजेपी, राजस्व विभाग, भूमि अधिग्रहण, औद्योगिक नीति
फ़ोकस कीवर्ड:
- मुथैया मुरलीधरन जमीन आवंटन
- जम्मू-कश्मीर विधानसभा विवाद
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- जम्मू-कश्मीर भूमि आवंटन नीति
- सीपीआई(एम) प्रश्न
परिचय:
श्रीलंकाई क्रिकेट कोच मुथैया मुरलीधरन को जम्मू-कश्मीर में ज़मीन आवंटन का मुद्दा शनिवार को विधानसभा में गरमा गया। विधायकों ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए, जिसके बाद मंत्री ने मामले की जांच का आश्वासन दिया। मुरलीधरन की कंपनी सेवलॉन बेवरेजेज को पिछले साल कठुआ के भगथाली औद्योगिक क्षेत्र में कई बड़े औद्योगिक घरानों के साथ ज़मीन आवंटित की गई थी, जिससे 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ।
विवाद का विवरण:
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान, सीपीआई(एम) विधायक एम. वाई. तारिगामी ने बिना मुरलीधरन का नाम लिए कहा, “एक श्रीलंकाई क्रिकेटर को जम्मू-कश्मीर में ज़मीन आवंटित की गई है। यह आवंटन कैसे किया गया है?” कांग्रेस विधायक जी. ए. मीर ने भी सवाल उठाते हुए कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है और इसकी जांच होनी चाहिए।” उन्होंने पूछा कि एक गैर-भारतीय क्रिकेटर को जम्मू-कश्मीर में ज़मीन कैसे आवंटित की गई।
सूत्रों के अनुसार, सेवलॉन बेवरेजेज को कठुआ में 1,600 करोड़ रुपये की एल्यूमीनियम कैन निर्माण और बेवरेज फिलिंग इकाई स्थापित करने के लिए 206 कनाल (25.75 एकड़) ज़मीन आवंटित की गई है। राजस्व विभाग के साथ पिछले साल जून में पट्टा विलेख निष्पादित किया गया था।
सरकार का जवाब:
विधायकों की चिंताओं का जवाब देते हुए, कृषि मंत्री जावेद अहमद डार ने कहा कि सरकार के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि एक पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर को औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में “मुफ्त में” ज़मीन दी गई है, और वे इसकी जांच करेंगे। उन्होंने कहा, “यह मामला राजस्व विभाग से संबंधित है। हमारे पास कोई जानकारी नहीं है, और हम तथ्यों को जानने के लिए इसकी जांच करेंगे।”
अन्य मुद्दे:
इससे पहले, तारिगामी के एक सवाल के लिखित जवाब में, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और सामाजिक कल्याण विभागों की मंत्री सकीना मसूद (इत्तू) ने कहा था कि भूमिहीन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत आवासीय घरों के निर्माण के लिए पांच मरला (1,355 वर्ग फुट) ज़मीन दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा सत्यापन के अधीन ज़मीन दी जाती है, और भूमिहीन पृष्ठभूमि के विस्तारित परिवारों को पात्रता और योजना के समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अधीन भूमि आवंटन के लिए विचार किया जा सकता है।
तारिगामी ने मंत्री के इस जवाब का विरोध किया कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण के तहत लोगों को मुआवजा दिया जाता है, जो जम्मू-कश्मीर में लागू है। इस पर, बीजेपी विधायक ने एक अदालत के फैसले का हवाला दिया कि राज्य की भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों को भी मुआवजा दिया जाना चाहिए।
विवाद का विश्लेषण:
मुथैया मुरलीधरन को ज़मीन आवंटन का मुद्दा जम्मू-कश्मीर में निवेश और औद्योगिक विकास को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाता है। यह मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक गैर-भारतीय नागरिक से जुड़ा हुआ है। विधायकों ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि यह आवंटन किस आधार पर किया गया और क्या यह नियमों के अनुसार है।
यह विवाद भूमि अधिग्रहण और आवंटन की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी उजागर करता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भूमि आवंटन की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो, और सभी हितधारकों के हितों का ध्यान रखा जाए।
निवेश और विकास:
जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बीच यह विवाद सामने आया है। सरकार का दावा है कि इस औद्योगिक क्षेत्र में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है, जिससे क्षेत्र में रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
हालांकि, विधायकों ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या स्थानीय लोगों को भी इस औद्योगिक क्षेत्र में ज़मीन आवंटन में प्राथमिकता दी गई है। यह मुद्दा स्थानीय लोगों के हितों और औद्योगिक विकास के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को दर्शाता है।
कानूनी पहलू:
भूमि आवंटन का मुद्दा कानूनी पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण के तहत लोगों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, राज्य की भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों को भी मुआवजा देने के संबंध में अदालत के फैसले हैं।
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भूमि आवंटन की प्रक्रिया कानूनी प्रावधानों के अनुसार हो, और सभी हितधारकों के अधिकारों का ध्यान रखा जाए।
राजनीतिक पहलू:
यह विवाद राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। सीपीआई(एम) और कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं, जबकि बीजेपी ने अदालत के फैसले का हवाला दिया है। यह विवाद विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच भूमि आवंटन और औद्योगिक विकास को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोणों को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
मुथैया मुरलीधरन को जम्मू-कश्मीर में ज़मीन आवंटन का मुद्दा कई महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। सरकार को इस मामले की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भूमि आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी प्रावधानों के अनुसार हो। यह विवाद जम्मू-कश्मीर में निवेश और औद्योगिक विकास को लेकर सरकार की नीति पर भी सवाल उठाता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि औद्योगिक विकास के साथ-साथ स्थानीय लोगों के हितों का भी ध्यान रखा जाए।
यह विवाद भूमि अधिग्रहण और आवंटन की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर करता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भूमि आवंटन की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो, और सभी हितधारकों के हितों का ध्यान रखा जाए।