Cheque Bounce Case: चेक बाउंस क्या है और इसके कारण? चेक बाउंस एक गंभीर बैंकिंग और कानूनी समस्या है। जब कोई व्यक्ति किसी को भुगतान के लिए चेक देता है लेकिन किसी कारणवश वह चेक क्लियर नहीं हो पाता और बैंक उसे अस्वीकार कर देता है, तो इसे चेक बाउंस कहा जाता है। चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं:
- खाते में अपर्याप्त धनराशि – अगर खाते में उतने पैसे नहीं हैं जितने का चेक काटा गया है।
- गलत या मेल न खाने वाला हस्ताक्षर – चेक पर किया गया हस्ताक्षर बैंक में रजिस्टर्ड सिग्नेचर से मेल नहीं खाता।
- गलत या अधूरी जानकारी – चेक पर गलत तारीख, ओवरराइटिंग या कटिंग होने पर बैंक इसे अस्वीकार कर सकता है।
- अमान्य चेक – चेक की वैधता समाप्त हो गई हो।
- अकाउंट बंद होना – अगर अकाउंट बंद हो गया हो तो चेक बाउंस हो सकता है।
- कंपनी चेक पर मोहर न होना – अगर कोई कंपनी चेक जारी कर रही है और उस पर आवश्यक मोहर नहीं है।
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चेक बाउंस होने पर बैंक की कार्रवाई
जब कोई चेक बाउंस होता है, तो बैंक निम्नलिखित कदम उठाता है:
- चेक धारक को सूचना – बैंक चेक जमा करने वाले को “चेक रिटर्न मेमो” जारी करता है, जिसमें अस्वीकार करने का कारण बताया जाता है।
- शुल्क वसूली – बैंक चेक बाउंस पर एक निश्चित शुल्क वसूलता है, जो आमतौर पर ₹150 से ₹800 तक हो सकता है।
- क्रेडिट स्कोर पर असर – चेक बाउंस होने की जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को दी जा सकती है, जिससे व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है।
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चेक बाउंस होने पर कानूनी कार्रवाई
भारतीय कानून के तहत चेक बाउंस एक गंभीर अपराध है और इसे नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत दंडनीय अपराध माना जाता है।
कानूनी प्रक्रिया:
- नोटिस जारी करना – चेक बाउंस होने पर, चेक धारक को 30 दिनों के भीतर चेक जारी करने वाले को एक कानूनी नोटिस भेजना होता है।
- 15 दिनों की समय सीमा – यदि नोटिस प्राप्त करने के बाद 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो चेक धारक कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
- अदालत में मुकदमा दर्ज – यदि भुगतान नहीं किया जाता है, तो शिकायतकर्ता 30 दिनों के भीतर अदालत में मामला दर्ज कर सकता है।
चेक बाउंस पर सजा और जुर्माना
यदि अदालत में दोषी साबित किया जाता है, तो दो साल तक की जेल, चेक राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों दंड दिए जा सकते हैं। यदि व्यक्ति अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं करता, तो उसे अतिरिक्त जेल की सजा हो सकती है।
चेक बाउंस से कैसे बचें?
- खाते में पर्याप्त बैलेंस बनाए रखें।
- चेक लिखते समय सभी जानकारी सही भरें।
- सही हस्ताक्षर करें और कटिंग या ओवरराइटिंग न करें।
- चेक की वैधता समाप्त होने से पहले उसे जमा करें।
- पोस्ट-डेटेड चेक देने से बचें।
- डिजिटल पेमेंट का उपयोग करें (UPI, NEFT, RTGS आदि)।
अगर चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?
- चेक धारक से संपर्क करें और भुगतान की पेशकश करें।
- कानूनी नोटिस मिलने पर समय पर जवाब दें।
- मामले को अदालत में जाने से पहले आपसी समझौते से हल करने की कोशिश करें।
- कानूनी सलाह लें और विशेषज्ञ वकील से संपर्क करें।
निष्कर्ष : Cheque Bounce Case
चेक बाउंस न केवल बैंकिंग बल्कि कानूनी दृष्टि से भी एक गंभीर विषय है। यदि आपका चेक बाउंस होता है, तो आपको कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। इस स्थिति से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहें और वित्तीय लेन-देन करते समय पूरी सावधानी बरतें।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। यदि आपको कानूनी सहायता की आवश्यकता हो, तो किसी योग्य वकील से परामर्श करें।