आमलकी एकादशी कब है ? 2025: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है, और यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला माना जाता है। इस लेख में, हम आमलकी एकादशी 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा, पारण समय और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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आमलकी एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि:
- प्रारंभ: 09 मार्च 2025 को सुबह 07:45 बजे
- समापन: 10 मार्च 2025 को सुबह 07:44 बजे
- उदया तिथि के अनुसार आमलकी एकादशी 10 मार्च 2025 को मनाई जाएगी।
- व्रत पारण का समय: 11 मार्च 2025 को सुबह 06:35 बजे से 08:13 बजे तक
शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:59 बजे से 05:48 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:24 बजे से 06:49 बजे तक
- निशिता मुहूर्त: 11 मार्च को रात 12:07 बजे से 12:55 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:12 बजे से 12:59 बजे तक
- अमृत काल: दोपहर 12:08 बजे से 12:55 बजे तक
- सूर्योदय: सुबह 06:36 बजे
- सूर्यास्त: शाम 06:26 बजे
- चंद्रोदय: दोपहर 02:51 बजे
- चंद्रास्त: 11 मार्च को सुबह 04:59 बजे
आमलकी एकादशी पूजा विधि:
- इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करें।
- आंवले के पेड़ को जल, रोली, अक्षत और फूल अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को फल, मिठाई और आंवले का भोग लगाएं।
- आमलकी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- एकादशी के दिन दान करना बहुत पुण्य दायक माना जाता है।
- शाम के समय भगवान विष्णु की आरती करें।
आमलकी एकादशी व्रत कथा:
प्राचीन काल में वैदिश नाम का एक नगर था, जिसमें चित्ररथ नाम का राजा राज्य करता था। उस नगर में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र चारों वर्ण आनन्द सहित रहते थे। उस नगर में आंगिरस ऋषि का आश्रम था। एक समय फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वादशी के दिन ऋषि के आश्रम पर उत्सव मनाया जा रहा था। जब एकादशी आई तो ऋषि ने भगवान विष्णु का पूजन किया। चित्ररथ प्रजा सहित मंदिर आया तथा उसने भी विधि सहित भगवान विष्णु का पूजन किया। ऋषि ने राजा सहित प्रजा को आमलकी एकादशी की कथा सुनाई और कहा कि इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आमलकी एकादशी का महत्व:
- यह व्रत सभी पापों का नाश करता है।
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- यह व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- आंवले का धार्मिक महत्व होने के कारण इस दिन इसका पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है।
व्रत पारण का महत्व: आमलकी एकादशी 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व – जानिए सबकुछ विस्तार से
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद किया जाता है। पारण के समय उचित मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। व्रत पारण के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को दान देना चाहिए।
निष्कर्ष:
आमलकी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और पापों से मुक्ति पाने का एक उत्तम अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मुझे उम्मीद है कि यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।