क्या कोरोना वायरस इतना खतरनाक है जितना लोग डर रहे हैं? (कोरोना वायरस टिप्स)

कोरोना वायरस (Covid19) की मारक क्षमता का आकलन करने के लिए इसके कई आयामों एवं आंकड़ो का अध्ययन करने की जरूरत है। और अभी कोई भी सरकार मृतको का पूरा डेटा सामने नहीं रख रही है। जहाँ तक पेड मीडिया की बात है वे ओवर रिपोर्टिंग कर रहे है। लेकिन ओवर रिपोर्टिंग कितनी हो रही है, इस बारे में हमारे पास कोई अनुमान नहीं।

क्या कोरोना वायरस इतना खतरनाक है जितना लोग डर रहे हैं?

यह वायरस खान-पान, तापमान, औसत आयु, चिकित्सीय सुविधाओ आदि के आधार पर अलग देशो में कम या ज्यादा घातक हो सकता है।

    01.यदि मछली मुख्य भोजन में शामिल है तो मृत्यु दर कम हो सकती है। लाल मांस की तुलना में मछली प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है ।

   02. भोजन में Raw food का ज्यादा इस्तेमाल है तो मृत्यु दर कम होने की सम्भावना है। क्योंकि कच्चे भोजन जैसे शाक-पात-फल आदि के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता उच्च बनी रहती है।


    03.यदि धूम्रपान का चलन नहीं है तो मृत्यु दर निम्न रह सकती है। धूम्रपान फेफड़ो की क्षमता कम कर देता है ।
    04.हेल्थ केयर सिस्टम भी मौतों को प्रभावित करेगा।
    05.देश में प्रदुषण ज्यादा है तो मृत्यु दर बढ़ेगी।
    06.कोरोना का सरकारों का निकम्मापन और नीति भी एक मुख्य कारक।
    07.लॉकडाउन का होना / नहीं होना, और उसका निष्पादन।
   08. जिस देश के खाद्य पदार्थो में रसायन एवं मिलावट ज्यादा है, वहां मृत्यु दर बढ़ है।
    09.तापमान ( एवं और भी ऐसे दर्जनों कारण )

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 कुछ उदारहण :

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(1) जापान एवं दक्षिण कोरिया : रॉ फ़ूड एवं मछली का काफी इस्तेमाल है। हेल्थ केयर सिस्टम भी अच्छा है। जापान में सामुदायिक स्तर पर यूरोपीय देशो की तुलना में स्वच्छता (High Hygiene) का स्तर काफी उच्च है। ज्यादातर नागरिक मास्क पहनने के आदि है। इन दोनों देशो ने समय से पहले कदम उठा लिए थे, अत: लॉकडाउन करने की जरूरत नहीं पड़ी।

(2) अमेरिका : मछली का इस्तेमाल कम है, और लाल मांस ज्यादा खाते है। तापमान 10 से 15 डिग्री। स्मोकिंग भी है। चिकित्सा अच्छी है, लेकिन महंगी है। अमेरिका के साथ एक और समस्या है। अमेरिकी हर साल फ़्लू शॉट लेते है, और कुछ लोगो का मानना है कि, इससे नए वायरस Covid19 के खिलाफ लड़ने की उनकी प्रतिरोधक क्षमता में कमी दृष्टिगोचर हो सकती है।

(3) इटली : हेल्थ केयर सिस्टम काफी अच्छा होने के कारण वहां पर वृद्ध व्यक्ति जीवन रक्षक उपकरणों / दवाईयों के कारण काफी लम्बे समय तक जीवित रहते है, और वृद्धो की संख्या अधिक हो जाने के कारण शायद अब वे कोरोना से मर रहे है। जापान में वृद्ध व्यक्ति इटली की तुलना में ज्यादा स्वस्थ है, और लाइफ सपोर्टिव सिस्टम पर जिन्दा नहीं है। हालांकि, अभी तक इटली के विस्तृत आंकड़े सामने नहीं आये है, अत: निर्णायक रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता।

(4) पंजाब : धूम्रपान कम होने के कारण मृत्यु दर कम हो सकती है, किन्तु वहां पर अनाज में पेस्टिसाईड का इस्तेमाल काफी ज्यादा होने से प्रतिरोधक क्षमता कम हुयी है, और इसके अलावा वहां ड्रग भी चलन में है।

और इसी तरह अलग अलग देशो, समुदायों में विभिन्न पहलूओ एवं उनके आंकड़ो का अध्ययन करने के बाद यह बात सामने आएगी कि कोरोना वायरस किसके लिए कितना घातक साबित हुआ।

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 कुछ संकेत जो बताते है कि पेड मीडिया आंकड़े ओवर रिपोर्ट कर रहा है :


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यदि पहले से बीमार किसी व्यक्ति में कोरोना पॉजिटिव आ जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो इसे कोरोना से हुयी मौत के आंकड़ो में दर्ज किया रहा है। इसके अलावा पेड मीडिया जानबूझकर इस तरह से रिपोर्टिंग कर रहा है, जिससे व्यक्ति में पैनिक फैले।

    भीलवाड़ा में नारायण सिंह जी सोलंकी की दोनों किडनियां फेल होने से वे डायलिसिस पर थे और उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी था। अस्पताल में रहने के दौरान ही उन्हें कोरोना इन्फेक्शन हुआ और मृत्यु हो गयी। डॉक्टर का कहना है कि मृत्यु किडनी फेलियर से हुयी है, लेकिन चूंकि उसे कोरोना पॉजिटिव था अत: उसे कोरोना के खाते में डाला गया और अख़बार ने हेडलाइन दी – कोरोना से पहली मौत !!
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    पेड मीडिया ने हेडलाइन बनायी कि स्पेन की राजकुमारी की कोरोना से मृत्यु हो गयी है। लेकिन उन्होंने हेडलाइन में 86 वर्षीय शब्द नहीं जोड़ा !! हेडलाइन पढ़ने से पाठक को लगेगा कि राजकुमारी जवान रही होगी। यह भी गलत रिपोर्टिंग है, और भय फैलाती है।
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    अमेरिका में अपनी बारी के इंतजार में हॉस्पिटल के वेटिंग रूम में हो रही मृत्यु को भी पेड मीडिया कोरोना से हुयी मौतों के रूप में बता रहा है। यहाँ गलत रिपोर्टिंग की सम्भावना है। क्योंकि Covid19 से मरने में व्यक्ति को 2 हफ्ते तक लगते है। खड़े खड़े कोरोना जान नहीं लेता। सम्भावना है कि अमुक रोगी को हार्ट अटेक हुआ हो या उसमे क्रोनिक डिजीज़ की कोई हिस्ट्री रही हो। और ऐसी ही सम्भावना हायपर टेंशन, हाई डाईबिटिज, हार्ट डिजीज आदि गंभीर बीमारी वाले रोगियों की है।

और हमें नहीं पता कि देश एवं पूरी दुनिया में ऐसे कितने मामले है, जिन्हें पेड मीडिया द्वारा कोरोना के साथ मिक्स किया जा रहा है। ज्यादा औचित्यपूर्ण आकलन करने के लिए इटली एवं स्पेन में कोरोना से मरने वाले रोगियों के निम्नलिखित आंकड़े चाहिए :

    मृतको के नाम एवं उम्र,
    उनकी अन्य गंभीर बीमारियों का इतिहास
    वर्ष 2019 में जनवरी से मार्च तक अमुक देश में होने वाली मौतों की संख्या,

बहरहाल, कोरोना वायरस भारत के सन्दर्भ में कितना घातक है, और क्या इसे पेड मीडिया द्वारा जाया तौर पर हाइप दी जा रही है, और इसी तरह के कई प्रश्नों के उत्तर हमें पाकिस्तान से मिलेंगे !! काफी साम्यताओ के साथ पाकिस्तान भारत की तुलना में हर तरीके से ज्यादा जोखिमपूर्ण है। अत: पाकिस्तान के आंकड़े महत्त्वपूर्ण है।

क्योंकि उनके पास पर्याप्त वेंटिलेटर नहीं है, पर्याप्त ICU यूनिट्स एवं डॉक्टर्स नहीं है, सरकार के पास कंट्रोल नहीं है, और वहां ऑफिशियली लॉकडाउन होने के बावजूद लॉकडाउन पूरी तरह से निष्पादित नहीं है। लेकिन उनके पास कोरोना वायरस भी है, और ऐसे कई समूह भी है जो Covid19 को भुनगा समझते है !!! ( और मेरा अनुमान है कि, पाकिस्तान के कोरोना संक्रमितो में मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम रहेगी।)

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(4) यदि आपको लगता है कि आंकड़े सामने आने से स्थिति साफ़ होगी तो आप प्रधानमंत्री जी को यह ट्वीट भेज सकते है –
कोरोना से मरने वालो के नाम, उम्र, उनकी अन्य बीमारियों का इतिहास एवं मतदाता संख्या सार्वजनिक करें, ताकि इनका अध्ययन किया जा सके। मेरी राय में मृतक को निजता का अधिकार नहीं है। ये आंकड़े छिपाने से अफवाहे फैलेगी एवं नुकसान होगा।

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